विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2025: फिनलैंड सबसे खुशहाल, भारत की खुशहाली रैंकिंग में 8 स्थानों का सुधार

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में दुनिया के सबसे ज्यादा 10 खुशहाल देशों की लिस्ट जारी हुई है। ऐसे देशों के फेहरिस्त में फिनलैंड लगातार आठवें साल लिस्ट में पहला स्थान हासिल किया है। इन 10 देशों में डेनमार्क, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन भी शामिल है, लेकिन शायद आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि दुनिया का सबसे अमीर और ताकतवर देश अमेरिका इस लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना सका है। सीएनबीसी की खबर के मुताबिक, गैलप की प्रबंध निदेशक इलाना रॉन लेवे का कहना है कि नॉर्डिक देशों का इस सूची में शीर्ष पर होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। अपने निवासियों के लिए सुविधाएं देने वाले देशों में स्थिरता है।
फिनलैंड के नंबर होने के पीछे की वजह
खबर के मुताबिक, लेवे का कहना है कि फिनलैंड एक असाधारण अपवाद है और मुझे लगता है कि दुनिया वास्तव में यह समझने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि फिनलैंड के बारे में क्या अनोखा है। उनका मानना है कि इसके पीछे दूसरों में विश्वास, भविष्य के लिए आशावाद, संस्थानों में भरोसा और दोस्तों और परिवार से मिलने वाले समर्थन सबसे बड़ी वजह हैं। फिनलैंड में, अपने जीवन के बारे में अच्छा महसूस करने के बारे में आम सहमति अधिक है। विश्व खुशहाली रिपोर्ट ने 2022-2024 के दौरान औसत स्व-मूल्यांकन जीवन मूल्यांकन और गैलप वर्ल्ड पोल में कैंट्रिल लैडर प्रश्न के उत्तरों के मुताबिक देशों को रैंक किया।
दुनिया के सबसे ज्यादा 10 खुशहाल देशों की लिस्ट
- फिनलैंड
- डेनमार्क
- आइसलैंड
- स्वीडन
- नीदरलैंड
- कोस्टा रिका
- नॉर्वे
- इजराइल
- लक्जमबर्ग
- मेक्सिको
डेनमार्क है बेहद खास
खुशहाल देशों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आनेवाला डेनमार्क एक दशक से भी ज्यादा समय से वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में शीर्ष 10 में रहा है। लिस्ट में फिनलैंड और दूसरे नॉर्डिक देशों की तरह, डेनमार्क के लोग इसलिए खुश हैं क्योंकि यह देश सामाजिक सुरक्षा जाल, सामाजिक संबंध प्रदान करता है। साथ ही, युवा लोग इन जगहों पर अपने जीवन के बारे में अच्छा महसूस करते हैं।
बता दें, डेनमार्क के लोग दुनिया के सबसे ज्यादा टैक्स चुकाते हैं यहां तक कि अपनी आय का आधा हिस्सा तक भी दे देते हैं। लेकिन साथ ही यह इस फैक्ट से संतुलित है कि देश में ज्यादातर स्वास्थ्य सेवाएं फ्री हैं, बच्चों की देखभाल पर सब्सिडी दी जाती है, विश्वविद्यालय के छात्र कोई ट्यूशन नहीं देते हैं और पढ़ाई के दौरान खर्चों को पूरा करने के लिए अनुदान पाते हैं। बुज़ुर्गों को पेंशन मिलती है और उन्हें देखभाल करने वाले सहायक भी उपलब्ध कराए जाते हैं।