ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि को सबसे क्रूर ग्रहों में से एक माना जाता है. जब शनि अपनी राशि बदलता है, तो कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव अवश्य पड़ता है. मान्यता है कि जैसे ही किसी राशि पर शनि का यह प्रभाव शुरू होता है, व्यक्ति के बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं. हालांकि, इन प्रभावों से बचने के लिए सावन का महीना उत्तम माना जाता है, क्योंकि इस माह में एक खास उपाय अपनाकर शनि के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है.

अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव चल रहा है, तो सावन के महीने में 10 मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण कर लें.
शनि का प्रकोप होगा कम
रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक है. सावन के महीने में इसे धारण करने से न केवल शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह बीमारी, दुख, और कष्टों से भी छुटकारा दिलाता है. साथ ही, घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है.

10 मुखी रुद्राक्ष का महत्व
मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है, इसलिए इसका महत्व बेहद खास है. वैसे तो एक से लेकर 21 मुखी तक रुद्राक्ष होते हैं, लेकिन आमतौर पर 14 मुखी तक के रुद्राक्ष धारण किए जाते हैं. सभी रुद्राक्षों का अपना अलग-अलग महत्व है.
10 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सभी ग्रह नक्षत्रों के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है. यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, मानसिक शांति प्रदान करता है, और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. इसके अतिरिक्त, यह आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाता है.

रुद्राक्ष धारण करने की विधि
रुद्राक्ष धारण करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. आप सावन की किसी एकादशी, प्रदोष, सोमवार, शिवरात्रि, या शिवयोग के दिन शोडशोपचार विधि से रुद्राक्ष की पूजा-आराधना करने के बाद उसे धारण कर सकते हैं.