भारत में शादी के बाद महिलाएं कई परंपराओं को निभाती हैं, लेकिन कुछ परंपराएं ऐसी होती हैं जिनका सीधा संबंध हमारे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन से होता है. ऐसी ही एक परंपरा है चांदी की पायल पहनना. यह केवल एक गहना नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी ज्योतिषीय, आयुर्वेदिक और सांस्कृतिक बातें जुड़ी होती हैं. यह परंपरा हर क्षेत्र, जाति और भाषा में अलग-अलग तरीके से निभाई जाती है, लेकिन उद्देश्य एक ही होता है- स्त्री को सशक्त, स्वस्थ और सौभाग्यशाली बनाए रखना. पायल पहनने से न केवल शरीर को लाभ होता है बल्कि यह वातावरण को भी सकारात्मक बनाती है. यह भारतीय नारी के श्रृंगार का हिस्सा ही नहीं, उसकी गरिमा का प्रतीक भी है. यही वजह है कि हर संस्कृति में इसे विशेष स्थान दिया गया है. इस बारे में बता रहे हैं
1. पायल पहनना सौभाग्य का प्रतीक है
ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी बताते हैं कि विवाह के बाद महिला जब चांदी की पायल पहनती है, तो वह नारी के सौभाग्य का प्रतीक बन जाती है. यह परंपरा सिर्फ श्रृंगार नहीं है, बल्कि यह यह दर्शाता है कि स्त्री अब अपने परिवार की लक्ष्मी बन गई है. इससे घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.

2. चांदी शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती है
चांदी को शास्त्रों में एक शांत करने वाली धातु माना गया है. यह चंद्रमा से जुड़ी होती है, जो मन और भावनाओं को नियंत्रित करता है. जब महिला पैरों में चांदी की पायल पहनती है, तो यह शरीर की निचली नसों में ऊर्जा का संचार करती है. इससे महिला को थकान कम महसूस होती है और वह ज्यादा सक्रिय रहती है. ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी के अनुसार, पायल पहनने से पैरों की नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जो खून के बहाव को बेहतर बनाता है.

3. घुंघरू की मधुर आवाज मानसिक शांति देती है
पायल में लगे छोटे-छोटे घुंघरू जब चलते समय बजते हैं, तो वह सिर्फ कानों को नहीं, मन को भी सुकून देते हैं. यह ध्वनि वातावरण की नकारात्मकता को दूर करती है और घर में सकारात्मकता लाती है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जैसे मंदिर में घंटियों की ध्वनि ऊर्जा को शुद्ध करती है, वैसे ही पायल की आवाज घर को पवित्र और शांत रखती है.
4. घर में बरकत और समृद्धि आती है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस घर में महिलाएं चांदी की पायल पहनती हैं, वहां चंद्रमा की ऊर्जा सक्रिय रहती है. यह ऊर्जा घर में समृद्धि, बरकत और स्थिरता लाती है. कई शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि ऐसे घरों में धन और सौभाग्य का वास बना रहता है.

5. पायल पहनना शुभ
वास्तु शास्त्र में पायल को घर की ऊर्जा को सक्रिय रखने का एक माध्यम माना गया है. वहीं आयुर्वेद के अनुसार, चांदी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करती है और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखती है. खासकर महिलाएं यदि पायल नियमित पहनें, तो उन्हें पीरियड्स संबंधी दिक्कतें भी कम होती हैं.

6. संस्कार और ऊर्जा का मिलन है पायल
अंशुल त्रिपाठी कहते हैं कि पायल पहनना एक तरह से नारी की ऊर्जा और भारतीय परंपरा के मिलन का प्रतीक है. यह न सिर्फ एक गहना है, बल्कि स्त्री की गरिमा, उसका सम्मान और उसकी सकारात्मक ऊर्जा का भी संकेत है.