ओंकारेश्वर अभयारण्य बनने से मप्र में पर्यटन को मिलेगी अलग पहचान
भोपाल । प्रदेश में एक ऐसा अभयारण्य बनने जा रहा है, जहां आप 2 ज्योतिर्लिंग के साथ जंगल सफारी का भी आनंद उठा सकेंगे, जिसका नाम है ओंकारेश्वर अभयारण्य। इसकी खूबी ये रहेगी कि ये राजधानी भोपाल और इंदौर के पास है। इसके अलावा उज्जैन से करीब 180 किमी दूरी में 2 ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर का सफर कर जंगल सफारी घूम सकते हैं।ओंकारेश्वर अभयारण्य 61407.09 हेक्टेयर में प्रस्तावित है। इसमें खंडवा जिले का 34559.19 हेक्टेयर क्षेत्र और देवास का 26847.90 क्षेत्र शामिल होगा। इसको लेकर वनसमितियों और जनप्रतिनिधियों की सहमति वन विभाग खंडवा ने ले ली है। इसके बाद प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। देवास क्षेत्र में अभी काम प्रगति पर है। खंडवा के वनों में प्राकृतिक सुंदरता तो है ही, साथ ही जल, जंगल और टापू भी हैं। खंडवा के मूंदी क्षेत्र में 31 टापू और चांदगढ़ क्षेत्र में 21 टापू पर्यटकों के लिए विकसित किए जाएंगे। अभी बोरियामाल और जलचौकी धारीकोटला विकसित टापू हैं। सभी टापू पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेंगे। अभयारण्य में जंगल के साथ इंदिरासागर बांध का क्षेत्र भी लगेगा।
110 तेंदुए अभी सक्रिय, बाघ का मूवमेंट भी
खंडवा में अभयारण्य क्षेत्र में अभी करीब 110 तेंदुए सक्रिय हैं। पहले से करीब 84 तेंदुए थे, 26 को यहां अभी छोड़ा गया है। यहां 2017 में बाघ भी देखे गए थे। रीछ, सियार, लकड़बग्गा, मोर, चीतल, सांबर, चिंकारा भी है। इसके अलावा लकड़ी में यहां सागौन, सालई, धावड़ा की प्रजातियां पाई जाती हैं। अभयारण्य के लिए अभी स्वीकृति का इंतजार है। लेकिन होटल और रिसोर्ट के लिए बड़े-बड़े होटल व्यापारी अभी से जमीन ढूंढने लगे हैं। साथ ही इसके बनने के बाद होम स्टे कल्चर भी बढ़ेगा।
विस्थापन नहीं होगा, लोगों को रोजगार मिल सकेगा
अभयारण्य क्षेत्र में एक भी राजस्व गांव और वन ग्राम नहीं है। इसलिए वन विभाग को विस्थापन नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही पर्यटकों के अभ्यारण्य में आने से क्षेत्र में रहने वालों के लिए रोजगार के बढ़ेगा। डीएफओ राकेश डामोर का कहना है कि हमने वन समितियों और जनप्रतिनिधियों की सहमति प्रदान कर ली है। इसके बाद प्रस्ताव शासन को भेजा है।